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101+ Shrimad Bhagavad Gita Quotes in Hindi | श्रीमद भगवत गीता के उपदेश

प्रिये मित्रो आपका हमारे ब्लॉग पर स्वागत है आज मैं इस ब्लॉग पर भारत की लोकप्रिये और प्रसिद्ध ग्रन्थ श्रीमद भगवत गीता Shrimad Bhagavad Gita Quotes in Hindi के अत्याध्य्मिक ज्ञान (Supernatural Knowledge) को शेयर कर रहा हूँ ।
यह पवित्र और महान ग्रन्थ महाभारत के अनुसार कुरुक्षेत्र में भगवान श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए महान उपदेश का एक उपनिषद् है। इसमें एकेश्वरवाद, कर्म योग, ज्ञानयोग, भक्ति योग की बहुत सुन्दर ढंग से चर्चा हुई है ।
यदि हम आपको सरल भाषा में समझायें तो जीवन जीने की अनोखी कला और पवित्र शक्ति की व्यख्या की गई हैं।
दोस्तों नीचे आपको श्रीमद भगवद गीता के कुछ बहुत ही प्रमुख कर्म से जुड़ीं अनमोल वचनों Bhagavad Gita Quotes in Hindi में प्रस्तुत कर रहा हूँ ।

 केवल मन ही किसी का मित्र और शत्रु होता है ।

नरक के तीन द्वार हैं – वासना, क्रोध और लालच ।

वह जो सभी इच्छाएं त्याग देता है और ‘मैं’ और ‘मेरा’ की लालसा और
भावना से मुक्त हो जाता है उसे शांति प्राप्त होती है । 

तुम उसके लिए शोक करते हो जो शोक करने के योग्य नहीं है,
और फिर भी ज्ञान की बात करते हो,
बुद्धिमान व्यक्ति ना जीवित और ना ही मृत व्यक्ति के लिए शोक करते हैं ।

जो हुआ वह अच्छे के लिए हुआ है, जो हो रहा है वह भी अच्छे के लिए ही हो रहा है,
और जो होगा वह भी अच्छे के लिए ही होगा।

वह जो सभी इच्छाएं त्याग देता है और ‘मैं’ और ‘मेरा’ की
लालसा से मुक्त हो जाता है उसे शांति प्राप्त होती है । 

तुम उसके लिए शोक करते हो जो शोक करने के योग्य नहीं है,
और फिर भी ज्ञान की बात करते हो,
बुद्धिमान व्यक्ति ना जीवित और ना ही मृत व्यक्ति के लिए शोक करते हैं ।

जो हुआ वह अच्छे के लिए हुआ है,
जो हो रहा है वह भी अच्छे के लिए ही हो रहा है,
और जो होगा वह भी अच्छे के लिए ही होगा। 

मेरे लिए ना कोई घृणित है ना प्रिय,
किंतु जो व्यक्ति भक्ति के साथ मेरी पूजा करते हैं,
वह मेरे साथ हैं और मैं भी उनके साथ । 

जब वे अपने कार्य में आनंद खोज लेते हैं तब वे पूर्णता प्राप्त करते हैं । 

मेरा-तेरा, छोटा-बड़ा, अपना-पराया,
मन से मिटा दो फिर सब तुम्हारा है तुम सबके हो ।

इतिहास कहता है कि कल सुख था,
विज्ञान कहता है कि कल सुख होगा, लेकिन धर्म कहता है..
कि अगर मन सच्चा और दिल अच्छा हो तो हर रोज सुख होगा । 

जीवन ना तो भविष्य में है और ना ही अतीत में है, 
जीवन तो केवल इस पल में है अर्थात इस पल का अनुभव ही जीवन है । 

आज जो कुछ आपका है, पहले किसी और का था और
भविष्य में किसी और का हो जाएगा, परिवर्तन ही संसार का नियम है । 

जो मन को नियंत्रित नहीं करते उनके लिए वह शत्रु के सामान कार्य करता है ।

व्यक्ति जो चाहे बन सकता है यदि वह विश्वास के साथ इच्छित वस्तु पर चिंतन करें ।

मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता है। जैसा वह विश्वास करता है वैसा वह बन जाता है  ।

कर्म मुझे बांधता नहीं, क्यूंकि मुझे कर्म के प्रतिफल की कोई इच्छा नहीं ।

अपने अनिवार्य कार्य करो,
क्योंकि वास्तव में कार्य करना निष्क्रियता से बेहतर है ।

फल की अभिलाषा छोड़कर कर्म करने वाला
पुरुष ही अपने जीवन को सफल बनाता है ।

सदैव सन्दहे करने वाले व्यक्ति के लिए प्रसन्नता न इस लोक में है न ही कही और।

सज्जन पुरुष अच्छे आचरण वाले सज्जन पुरुषो में ,
नीच पुरुष नीच लोगो में ही रहना चाहते है ।
स्वाभाव से पैदा हुई जिसकी जैसी प्रकृति है उस प्रकृति को कोई नहीं छोड़ता ।

दैवीय सम्प्रदा से युक्त पुरुष में भय का सर्वथा आभाव
और सबके प्रति प्रेम का भाव होता है ।

जो होने वाला है वो होकर ही रहता है और
जो नहीं होने वाला वह कभी नहीं होता,
ऐसा निश्चय जिनकी बुद्धि में होता है उन्हें चिंता कभी नहीं सताती ।

“पूर्णता के साथ किसी और के जीवन की नकल कर जीने की तुलना में
अपने आप को पहचानकर अपूर्ण रूप से जीना बेहतर है ।”

समय से पहले और भाग्य से अधिक किसी को कुछ नहीं मिलता ।

इंसान अपने विश्वास से निर्मित होता है.
जिस प्रकार वह विश्वास करता है उसी प्रकार वह बन जाता है ।

जब इंसान बेकार की इच्छाओ के त्याग कर देता है और
मै और मेरा की लालसा से मुक्त हो जाता है तब ही उसे शांति मिल सकती है ।

अच्छे कर्म करने के बावजूद भी लोग केवल आपकी बुराइयाँ ही याद रखेंगे.
इसलिए लोग क्या कहते है इस पर ध्यान मत दो. अपने कार्य करते रहो । 

बुरे कर्म करने वाले, सबसे नीच व्यक्ति जो राक्षसी प्रवित्तियों से जुड़े हुए हैं,
और जिनकी बुद्धि माया ने हर ली है वो मेरी पूजा या मुझे पाने का प्रयास नहीं करते.

जो कोई भी जिस किसी भी देवता की पूजा विश्वास के साथ करने की इच्छा रखता है,
मैं उसका विश्वास उसी देवता में दृढ कर देता हूँ.

स्वर्ग प्राप्त करने और वहां कई वर्षों तक वास करने के पश्चात एक
असफल योगी का पुन: एक पवित्र और समृद्ध कुटुंब में जन्म होता है.

केवल मन ही किसी का मित्र और शत्रु होता है.

मैं सभी प्राणियों के ह्रदय में विद्यमान हूँ.

ऐसा कुछ भी नहीं , चेतन या अचेतन , जो मेरे बिना अस्तित्व में रह सकता हो.

वह जो मृत्यु के समय मुझे स्मरण करते हुए अपना शरीर त्यागता है,
वह मेरे धाम को प्राप्त होता है. इसमें कोई शंशय नहीं है.

वह जो इस ज्ञान में विश्वास नहीं रखते,
मुझे प्राप्त किये बिना जन्म और मृत्यु के चक्र का अनुगमन करते हैं.

हे अर्जुन !, मैं भूत, वर्तमान और भविष्य के सभी प्राणियों को जानता हूँ,
किन्तु वास्तविकता में कोई मुझे नहीं जानता.

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Published by
Gyankibaat