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Best Chanakya Quotes In Hindi | आचार्य चाणक्य के सर्वश्रेष्ठ अनमोल विचार

आचार्य चाणक्य बहुत बड़े ज्ञानी थे उनके बुध्दि और विचारो का कोई तोड़ नहीं था। उन्होंने अपने ज्ञान से लोगो को बहुत कुछ सिखाया है। उनके विचार और नीतियां जिंदगी में बहुत कुछ अच्छा बदलाव ला सकते है।

इस पोस्ट में ऐसे ही Best Chanakya Quotes in Hindi, Chanakya Neeti In Hindi, Chanakya Thoughts In Hindi को शेयर किया है । आप भी इन बेहतरीन विचारो को जरूर पढ़िए।

Chanakya Thoughts In Hindi

फूलों की खुशबू केवल हवा की दिशा में फैलती है
लेकिन एक व्यक्ति की अच्छाई सभी दिशाओं में फैलती है।

एक बेहतरीन बात यह है कि जो शेर से सीखा जा सकता है कि
एक इंसान को किसी काम को करने का इरादा पूरे मन
और कड़ी मेहनत से किया जाना चाहिए।

सबसे बड़ा गुरु-मंत्र है –
“अपने गुप्त रहस्यों को किसी के सामने प्रकट मत करो यह तुम्हें नष्ट कर देगा” ।

दुनिया की सबसे बड़ी ताकत युवाशक्ति और महिला की सुंदरता है ।

मनुष्य जन्म से नहीं बल्कि अपने कर्मों से महान बनता है ।

एक बेवकूफ व्यक्ति के लिए पुस्तक उतनी ही उपयोगी होती है
जितना दर्पण एक अंधे व्यक्ति के लिए उपयोगी है।

यहां तक कि अगर सांप जहरीला नहीं है, तो उसे विषैला होने का दिखावा करना चाहिए। 

शिक्षा सबसे अच्छी मित्र हैं, एक शिक्षित व्यक्ति हर जगह सम्मान पाता हैं,
शिक्षा सौन्दर्य और यौवन को परास्त कर देती हैं ।

हर दोस्ती के पीछे कुछ स्व-हित (स्वार्थ) होता है
बिना स्व-हित (स्वार्थ) के कोई दोस्ती नही होती है । यह एक कड़वा सच है ।
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किसी भी व्यक्ति को आवश्यकता से अधिक  ईमानदार (सीधा) नहीं होना चाहिए।
क्योंकि सीधे तने वाले पेड़ पहले काटे जाते हैं पर टेढ़े को कोई नहीं छूता।

 व्यक्ति अकेले पैदा होता है और अकेले मर जाता है;
और वो अपने अच्छे और बुरे कर्मों का फल खुद ही भुगतता है;
और वह अकेले ही नर्क या स्वर्ग जाता है ।

पहले पाच सालों में अपने बच्चे को बड़े प्यार से रखिये,
अगले पांच साल उन्हें डांट-डपट के रखिये,
जब वह 16 साल का हो जाये तो उसके साथ एक मित्र की तरह व्यव्हार करिए,
आपके व्यस्क बच्चे ही आपके सबसे अच्छे मित्र हैं ।

 एक बार जब आप किसी काम की  शरुवात करते हैं,
तो विफलता से मत डरो और न ही उसे छोड़े ।
जो लोग ईमानदारी से काम करते हैं, वे सबसे खुश हैं।

एक अशिक्षित व्यक्ति का जीवन कुत्ते की पूंछ की तरह बेकार है
जो न तो उसके पीछे के भाग को कवर करता है,
न ही कीड़ों के काटने से बचाता है।

भगवान लकड़ी, पत्थर या मिट्टी के मूर्तियों में नहीं रहते ।
उनका निवास हमारी भावनाओं और हमारे विचारों में है।

सांप के फन, मक्खी के मुख में और बिच्छु के डंक में ज़हर होता है;
पर दुष्ट व्यक्ति तो इससे भरा होता है.

इस बात को व्यक्त मत होने दीजिये कि आपने क्या करने के लिए सोचा है,
बुद्धिमानी से इसे रहस्य बनाये रखिये और इस काम को करने के लिए दृढ रहिये ।

उन लोगो से कभी दोस्ती ना करे जो आपके स्तर से बहोत निचे या बहोत उपर हो,
इस तरह की दोस्ती आपको कभी ख़ुशी नहीं दे सकते।

जब तक आपका शरीर स्वस्थ रहेंगा तब तक मृत्यु आपके वश में होंगी,
लेकिन फिर भी आप आत्मा को बचाने की कोशिश कीजिये,
क्योकि जब मृत्यु पास होंगी तब आप क्या करोंगे?

कुछ भी काम शुरू करने से पहले,
हमेशा अपने आप से तीन प्रश्न पूछिए – मैं यह क्यों कर रहा हूं ?,
परिणाम क्या हो सकते हैं ? और क्या मैं सफल रहूंगा ?
जब आप गहराई से सोच लें और इन सवालों के संतोषजनक जवाब मिल जाये, तभी आगे बढ़ें ।

Chanakya Niti In Hindi

अविनीत व्यक्ति को स्नेही होने पर भी मंत्रणा में नहीं रखना चाहिए।

स्वाभिमानी व्यक्ति प्रतिकूल विचारों को सम्मुख रखकर दोबारा उन पर विचार करे।

शासक को स्वयं योग्य बनकर योग्य प्रशासकों की सहायता से शासन करना चाहिए।

अविनीत व्यक्ति को स्नेही होने पर भी अपनी मंत्रणा में नहीं रखना चाहिए।

ज्ञानी और छल-कपट से रहित शुद्ध मन वाले व्यक्ति को ही मंत्री बनाए।

समस्त कार्य पूर्व मंत्रणा से करने चाहिए।

विचार अथवा मंत्रणा को गुप्त न रखने पर कार्य नष्ट हो जाता है।

राज्य नीति का संबंध केवल अपने राज्य को
सम्रद्धि प्रदान करने वाले मामलो से होता है।

लापरवाही अथवा आलस्य से भेद खुल जाता है।

राज्यतंत्र से संबंधित घरेलु और बाह्य,
दोनों कर्तव्यों को राजतंत्र का अंग कहा जाता है।

कार्य के मध्य में अति विलम्ब और आलस्य उचित नहीं है।
कार्य-सिद्धि के लिए हस्त-कौशल का उपयोग करना चाहिए।

समय को समझने वाला ही कार्य सिद्ध करता है।

 भाग्य के विपरीत होने पर अच्छा कर्म भी दुखदायी हो जाता है।
अशुभ कार्यों को नहीं करना चाहिए अर्थात गलत कार्यों को नहीं करना चाहिए |

समय का ज्ञान न रखने वाले राजा का कर्म समय के द्वारा ही नष्ट हो जाता है।

योग्य सहायकों के बिना निर्णय करना बड़ा कठिन होता है।
एक अकेला पहिया नहीं चला करता।

इन्द्रियों पर विजय का आधार विनर्मता है। प्रकृति का कोप सभी कोपों से बड़ा होता है।

आत्मविजयी सभी प्रकार की संपत्ति एकत्र करने में समर्थ होता है।

जहाँ लक्ष्मी है वहां स्वानी का (नध), वहां सरलता से सुख आ जाता है|

बिना उपाय के किए गए कार्य प्रयत्न करने पर भी बचाए नहीं जा सकते, नष्ट हो जाते है।

कार्य करने वाले के लिए उपाय सहायक होता है।
कार्य का स्वरुप निर्धारित हो जाने के बाद वह कार्य लक्ष्य बन जाता है।

Chanakya Niti In Hindi With Images

Published by
Gyankibaat